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त्र्यार्षेय  : पुं० [सं० त्रि-आर्षेय, ब० स०] १. वह गोत्र, जिसके तीन प्रवर हों। त्रिप्रवर गोत्र। २. अंधे, गूंगे और बहरे लोग, जिन्हें यज्ञों में नहीं जाने किया जाता था।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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