शब्द का अर्थ
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तड़का :
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पुं० [हिं० तड़कना] १. दिन निकलने का समय, जिसमें रात्रि का अन्धकार घटने लगता है और कुछ-कुछ प्रकाश होने लगता है। मुहावरा–(किसी बात का) तड़का होना= (क) पूर्ण रूप से अभाव होना। जैसे–पूँजी निकल जाने से घर में तड़का हो गया। (किसी व्यक्ति का) तड़का देना-आघात, प्रहार आदि के कारण होश-हवास गुम हो जाना० २. खाने-पीने की चीजों को तड़कने या छौंकने की क्रिया या भाव। बघार। ३. वह मसाला जिसमें दाल आदि तड़की जाती है। क्रि० प्र०–देना।–लगाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तड़काना :
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स० [हिं० तड़कना का स० रूप०] १. किसी वस्तु को इस तरह से तोड़ना जिससे ‘तड़’ शब्द हो। २. सुखाकर बीच में फाड़ना। ३. जोर का शब्द उत्पन्न करना। ४. क्रोध दिलाना या खिजाना। चटकाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |