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टोल  : पुं० [सं० चटशाला ?] १. पाठशाला। २. मध्ययुग में वह बड़ी पाठशाला जिसमें कोई बहुत बड़ा पंडित अपने शिष्यों को दर्शन, न्याय, व्याकरण आदि की ऊँची शिक्षा दिया करता था। (बंगाल)। पुं० [?] संपूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। स्त्री० दे० ‘टोली’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० दे० ‘टोला’ (मुहल्ला)। पुं० [अं०] किसी विशिष्ट मार्ग पर चलने के समय यात्रियों पर लगने वाला मार्ग कर।
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टोला  : पुं० [सं० अष्ठीला] १. छोटी पहाड़ी की तरह उमड़ा तथा ऊँचा उठा हुआ भूखंड। ढूह। २. मिट्टी का वह ऊँचा ढेर जो प्राकृतिक रूप से बना हो। २. छोटी पहाड़ी। पुं० [देश०] एक जल-पक्षी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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टोला  : पुं० [हिं० टोली का पुं०] १. किसी बस्ती का कोई विशिष्ट विभाग जो किसी स्वतंत्र नाम से प्रसिद्ध हो। मुहल्ला। जैसे–महाजनी टोला। २. ईंट-पत्थर आदि का बड़ा तथा भारी टुकड़ा। पुं० [देश०] १. गुल्ली पर किया जानेवाला डंडे का आघात या चोट। २. उँगली मोड़कर उसकी हड्डी से किया जानेवाला आघात। क्रि० प्र०–मारना।–लगाना। २. बेंत आदि की चोट का निशान। क्रि० प्र०–पड़ना। ३. बड़ी कौड़ी। कौड़ा।
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टोली  : स्त्री० [सं० टोलिका=घेरा बाड़ा] १.किसी बस्ती का कोई ऐसा छोटा विभाग जो किसी विशिष्ट नाम से प्रसिद्ध हो। छोटा टोला या मुहल्ला। जैसे–ग्वाल टोली। २. जीव-जन्तु या प्राणियों का झुंड। जैसे–बंदरों की टोली। ३. मनुष्यों का दल या मंडली। जैसे–यात्रियों की टोली। ४. पत्थर की चौकोर पटिया। बड़ी सिल। ५. पूर्वी हिमालय में होनेवाला एक प्रकार का बांस जिसे नाल भी कहते हैं।
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टोली-घनवा  : पुं० [हिं० टोली+धान] एक तरह की घास जिसके पत्ते धान के पत्तों जैसे होते हैं।
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