शब्द का अर्थ
|
घूम :
|
स्त्री० [हिं० घूमना] १. घूमने की क्रिया, भाव या स्थिति। घुमाव। २. चक्कर। घेरा। ३. मोड़। स्त्री० [बँ० मिलाओ हिं० ऊँघ] १. निद्रा। नींद। (पूरब) उदाहरण– न इस मोह की घूम से विरो।–मैथिलीशरण। २. नशा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
घूम-घुमारा :
|
वि० [हिं० घूमना] १. घूमता या चक्कर खाता हुआ। २. अलसता, मद आदि से भरा हुआ। उदाहरण–कृष्ण रसामृत-पान अलस कछु घूम-घुमारे।–नंददास। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
घूमना :
|
अ० [सं० घूर्णन, प्रा० घुम्मइ] १. किसी केन्द्र पर स्थित वस्तु का चारों ओर चक्कर लगाना। जैसे–चक्की के पाट,घड़ी की सुई अथवा रथ के पहियों का घूमना। २. किसी एक वस्तु का किसी दूसरी वस्तु को केन्द्र बनाकर उसके चारों ओर चक्कर लगाना। जैसे–चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है। ३. किसी वस्तु का अपने अक्ष या धुरी पर चारों ओर फिरना। जैसे–लट्टू का घूमना। ४. किसी ओर चलते-चलते दाहिने या बाएँ बढ़ना। जैसे–यह रास्ता आगे चलकर दाहिनी ओर घूम गया है। ५.चलते-चलते पीछे की ओर फिरना। लौटना। जैसे–मैंने घूमकर देखा तो वह भी मेरे पीछे-पीछे आ रहा था। मुहावरा–(किसी को) घूम घुमाना=टाल-मटोल या हीला-हवाला करते हुए किसी को किसी काम के लिए बार-बार दौड़ाना। ६. मन बहलाने या सैर करने के लिए इधर-उधर जाना। जैसे–रोज सबेरे वह घूमने निकलता है। ७. अनेक देशों या स्थानों में सैर-सपाटे के लिए अथवा किसी विशिष्ट उद्देश्य से जाना। जैसे–(क) वे अमेरिका या यूरोप घूम आये हैं। (ख) गाँव-गाँव घूमकर गाँधी ने सोये भारतीयों को जगाया था। ८. अचानक एक ओर से किसी दूसरी ओर प्रवृत्त होना। मुहावरा–(किसी की ओर) घूम पड़ना=आवेश या क्रोध में आकर किसी दूसरे से बातें करने लगना। जैसे– उनसे बातें करते-करते वे अचानक मुझ पर घूम पड़े। ९. किसी चीज का घेर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पद-घूम-घुमारा। (देखे)। अ० [बँ ०घूम=नींद] १. निद्रा में होना। सोना। २. उन्मत्त या मतवाला होना। ३. तन्मय या लीन होना। उदाहरण–बिहंसि बुलाय विलोकि उत्त प्रौढ़ तिया रस घूमि।–बिहारी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
घूमनी :
|
स्त्री०=घुमरी (चक्कर)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
घूमा :
|
पुं० [देश०] एक प्रकार का साग जिसमें सफेद फूल लगते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |