शब्द का अर्थ
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क्षीण :
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वि० [सं०√क्षि+क्त, त=न, दीर्घ] [भाव० क्षीणता; क्षैण्य] १. जिसका क्षय हुआ हो। २. घटा हुआ या घटनेवाला। ३. जो रचना, स्वास्थ्य आदि की दृष्टि से बहुत ही दुबला-पतला या दुर्बल हो। ४ सूक्ष्म। |
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क्षीण-कर :
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वि० [ष० त०] क्षीण करनेवाला। |
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क्षीण-काय :
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वि० [ब० स०] (प्राणी) जो पतला-दुबला तथा दुर्बल हो। |
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क्षीण-चंद्र :
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पुं० [कर्म० स०] कृष्णपक्ष की अष्टमी से शुक्लपक्ष की अष्टमी तक का चन्द्रमा, जिसमें उसकी कलाएँ क्षीण रहती हैं। |
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क्षीण-पाप :
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वि० [ब० स०] वह जिसके पाप क्षीण या नष्ट हो चुके हों। |
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क्षीण-प्रकृति :
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वि० [ब० स०] क्षुद्र या तुच्छ प्रकृतिवाला। |
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क्षीण-मध्य :
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वि० [ब० स०] १. जिसका बीच का भाग पतला हो। २. पतली कमरवाला। |
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क्षीणक-रोग :
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पुं० [सं० क्षीणकररोग] कोई ऐसा रोग जिसमें रोगी का शरीर क्षीण होता जाता हो (वैस्टिंग डिजीज) |
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क्षीणता :
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स्त्री [सं० क्षीण+तल—टाप्] क्षीण होने की अवस्था या भाव। |
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क्षीणार्थ :
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वि० [सं० क्षीण-अर्थ, बस० स०] जिसकी संपत्ति नष्ट हो चुकी हो। निर्धन। गरीब। |
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