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कुष्ठ  : पुं० [सं० कुश्+क्थन्] १. एक संक्रामक रोग जिसमें शरीर की त्वचा, तंतु, नसें आदि मलने तथा सडने लगती हैं और इस प्रकार अंग बेकार हो जाते हैं। कोड़। (लेप्रेसी) २. कुट या कुड़ा नाम की ओषधि।
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कुष्ठ-केतु  : पुं० [ब० स०] भुई खेखसा नाम का लता। माकिंडिका।
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कुष्ठ-गंधि  : स्त्री० [ब० स०] एलुआ। (ओषधि)।
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कुष्ठ-सूदन  : पुं० [सं० कुष्ठ√सूद् (नष्ट करना)+णइच्+ल्यु-अन] अमलतास।
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कुष्ठध्न  : पुं० [सं० कुष्ठ√हन् (नष्ट करना)+टक्] हितावली नाम की ओषधि।
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कुष्ठध्नी  : स्त्री० [सं० कुष्ठध्न+ङीष्] कठूमर।
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कुष्ठहत्  : पुं० [सं० कुष्ठ√ह्व (हरण करना)+क्विप्] १. खैर का पेड़। २. विट् खदिर। वि० कुष्ठ नाशक।
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कुष्ठारि  : पुं० [कुष्ठ-अरि, ष० त०] १. आक या मदार का पत्ता। २. गंधक। ३. परवल। ४. दे,० कुष्ठह्रत। वि०=कुष्ठनाशक।
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कुष्ठालय  : पुं० [सं० कुष्ठ-आलय, ष० त०] वह भवन या चिकित्सालय जिसमें कोढ़ियों को रखकर चिकित्सा और सेवा-सुश्रुषा की जाती है।
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कुष्ठी (ष्ठिन्)  : पुं० [सं० कुष्ठ+इनि] [स्त्री० कुष्ठिनी] वह व्यक्ति जो कुष्ठ रोग से पीडि़त हो। कोढ़ी।
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