शब्द का अर्थ
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कामोद :
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पुं० [कु-आमोद, ब० स० कु-क आदेश] रात के पहले पहर में गाया जानेवाला संपूर्ण जाति का एक राग, जो मालकोस का पुत्र माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
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कामोद-कल्याण :
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पुं० [ब० स०] संपूर्ण जाति का एक संकर राग जो कामोद और कल्याण के योग से बनता है तथा जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। |
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कामोद-तिलक :
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पुं० [ब० स०] रात के पहले पहर में गाया जानेवाला बाड़व जाति का एक संकर राग, जो कामोद और तिलक के योग से बनता है। |
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कामोद-नट :
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पुं० [ब० स०] संपूर्ण जाति का एक संकर राग, जो कामोद और नट के योग से बनता है। |
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कामोद-सामन्त :
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पुं० [ब० स०] रात के तीसरे पहर में गाया जानेवाला बाड़व जाति का एक राग, जो कामोद और सामंत के योग से बनता है। |
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कामोदक :
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पुं० [काम-उदक, मध्य० स०] किसी मृत प्राणी, विशेषतः किसी मित्र या दूर के संबंधी को दी जानेवाली जलांजलि। |
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कामोदा :
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स्त्री० [सं० कामोद+टाप्] दे० ‘कामोदी’। |
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कामोदी :
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स्त्री० [सं० कामोद+ङीष्] रात के दूसरे पहर में गाई जाने वाली संपूर्ण जाति की एक रागिनी जो कामोद की स्त्री मानी गई है। |
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कामोद्दीपक :
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वि० [काम-उद्दीपक, ष० त०] (वस्तु या स्थिति) जो मनुष्य के मन में काम-वासना जगावे या तीव्र करे। |
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कामोद्दीपन :
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पुं० [काम-उद्दीपन, ष० त०] १. काम-वासना को उद्दिप्त या तीव्र करना। २. काम-वासना का उद्दीप्त या तीव्र होना। |
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