शब्द का अर्थ
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उत्तम :
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वि० [सं० उद्+तमप्] [स्त्री० उत्तमा] १. जो गुण, विशेषता आदि में सबसे बहुत बढ़कर हो। सबसे अच्छा। २. सबसे बड़ा। प्रधान। पुं० १. विष्णु। २. ध्रुव का सौतेला भाई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्तम :
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वि० [सं० उद्+तमप्] [स्त्री० उत्तमा] १. जो गुण, विशेषता आदि में सबसे बहुत बढ़कर हो। सबसे अच्छा। २. सबसे बड़ा। प्रधान। पुं० १. विष्णु। २. ध्रुव का सौतेला भाई। |
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उत्तम-गंधा :
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स्त्री० [ब० स०] चमेली। |
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समानार्थी शब्द-
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उत्तम-गंधा :
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स्त्री० [ब० स०] चमेली। |
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समानार्थी शब्द-
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उत्तम-पुरुष :
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पुं० [सं० कर्म० स०] १. व्याकरण में, वह पद जो प्रथम पुरुष अर्थात् बोलनेवाला का वाचक हो। वक्ता का वाचक सर्व-नाम। जैसे—हम, मैं। २. ईश्वर जो सब पुरुषों में उत्तम कहा गया हो। |
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उत्तम-पुरुष :
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पुं० [सं० कर्म० स०] १. व्याकरण में, वह पद जो प्रथम पुरुष अर्थात् बोलनेवाला का वाचक हो। वक्ता का वाचक सर्व-नाम। जैसे—हम, मैं। २. ईश्वर जो सब पुरुषों में उत्तम कहा गया हो। |
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उत्तम-साहस :
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पुं० [सं० कर्म० स०] प्राचीन काल में अपराधी को दिया जानेवाला बहुत अधिक कठोर आर्थिक या शारीरिक देड। जैसे—अंग-भंग, निर्वासन, प्राण-दंड आदि। |
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पुं० [सं० कर्म० स०] प्राचीन काल में अपराधी को दिया जानेवाला बहुत अधिक कठोर आर्थिक या शारीरिक देड। जैसे—अंग-भंग, निर्वासन, प्राण-दंड आदि। |
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उत्तमंग :
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पुं० उत्तमांग। |
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समानार्थी शब्द-
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पुं० उत्तमांग। |
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समानार्थी शब्द-
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उत्तमतया :
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क्रि० वि० [सं० उत्तमता शब्द की तृतीया विभक्ति के रूप का अनुकरण] उत्तम रूप से। अच्छी तरह। भली भाँति। |
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समानार्थी शब्द-
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क्रि० वि० [सं० उत्तमता शब्द की तृतीया विभक्ति के रूप का अनुकरण] उत्तम रूप से। अच्छी तरह। भली भाँति। |
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उत्तमता :
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स्त्री० [सं० उत्तम+तल्-टाप्] उत्तम होने की अवस्था या भाव। |
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स्त्री० [सं० उत्तम+तल्-टाप्] उत्तम होने की अवस्था या भाव। |
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उत्तमताई :
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स्त्री० उत्तमता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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स्त्री० उत्तमता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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उत्तमत्व :
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पुं० [सं० उत्तम+त्व] उत्तमता। |
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उत्तमत्व :
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पुं० [सं० उत्तम+त्व] उत्तमता। |
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उत्तमन :
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पुं० [सं० उद्√तम् (खेद)+ल्युट-अन] १. साहस छोड़ना। २. अधीरता। अधैर्य। |
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पुं० [सं० उद्√तम् (खेद)+ल्युट-अन] १. साहस छोड़ना। २. अधीरता। अधैर्य। |
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उत्तमर्ण :
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पुं० [सं० उत्तम-ऋण, ब० स०] वह जो दूसरो को ऋण देता हो, अथवा जिसे किसी को ऋण दिया हो। महाजन। |
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पुं० [सं० उत्तम-ऋण, ब० स०] वह जो दूसरो को ऋण देता हो, अथवा जिसे किसी को ऋण दिया हो। महाजन। |
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उत्तमर्णिक :
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पुं० [सं० उत्तम-ऋण, कर्म० स०+ठन्-इक]=उत्तमर्ण। |
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पुं० [सं० उत्तम-ऋण, कर्म० स०+ठन्-इक]=उत्तमर्ण। |
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उत्तमा :
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स्त्री० [सं० उत्तम+टाप्] १. श्रेष्ठ स्त्री। २. शूक रोग का एक बेद। ३. दुद्धी या दूधी नाम की जड़ी। वि० भली। नेक। |
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स्त्री० [सं० उत्तम+टाप्] १. श्रेष्ठ स्त्री। २. शूक रोग का एक बेद। ३. दुद्धी या दूधी नाम की जड़ी। वि० भली। नेक। |
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उत्तमांग :
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पुं० [सं० उत्तम-अंग, कर्म० स०] शरीर का उत्तम या सर्वश्रेष्ठ अंग, मस्तक। सिर। |
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पुं० [सं० उत्तम-अंग, कर्म० स०] शरीर का उत्तम या सर्वश्रेष्ठ अंग, मस्तक। सिर। |
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उत्तमादूती :
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स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, वह दूती जो रूठे हुए नायक या नायिका को समझा-बुझाकर या दूसरे उत्तम उपायों से उसके प्रिय के पास ले आती हो। |
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स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, वह दूती जो रूठे हुए नायक या नायिका को समझा-बुझाकर या दूसरे उत्तम उपायों से उसके प्रिय के पास ले आती हो। |
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उत्तमानायिका :
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स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, शुद्ध आचरणवाली वह स्वकीया नायिक जो पति के प्रतिकूल या विरुद्ध होने पर भी उसके अनुकूल बनी रहें। |
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स्त्री० [सं० व्यस्तपद] साहित्य में, शुद्ध आचरणवाली वह स्वकीया नायिक जो पति के प्रतिकूल या विरुद्ध होने पर भी उसके अनुकूल बनी रहें। |
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उत्तमांभस :
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पुं० [सं० उत्तम-अंभस्, कर्म० स०] सांख्य में, हिसा के त्याग से प्राप्त होनेवाली तुष्टि। |
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पुं० [सं० उत्तम-अंभस्, कर्म० स०] सांख्य में, हिसा के त्याग से प्राप्त होनेवाली तुष्टि। |
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उत्तमार्द्ध :
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पुं० [सं० उत्तम-अर्द्ध, कर्म० स०] १. किसी वस्तु का वह आधा अंश या भाग जो शेष अंश की तुलना में श्रेष्ठ हो। २. अंतिम आधा अँश या भाग। उत्तरार्ध। |
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पुं० [सं० उत्तम-अर्द्ध, कर्म० स०] १. किसी वस्तु का वह आधा अंश या भाग जो शेष अंश की तुलना में श्रेष्ठ हो। २. अंतिम आधा अँश या भाग। उत्तरार्ध। |
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उत्तमाह :
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पुं० [सं० उत्तम-अहन्, कर्म० स०] १. अच्छा या शुभ दिन। २. अंतिम या आखिरी दिन। |
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पुं० [सं० उत्तम-अहन्, कर्म० स०] १. अच्छा या शुभ दिन। २. अंतिम या आखिरी दिन। |
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उत्तमीय :
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वि० [सं० उत्तम+छ-ईय] १. सबसे अच्छा और ऊपर का। सर्वश्रेष्ठ। २. प्रधान। मुख्य। ३. सबसे ऊँचा। |
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वि० [सं० उत्तम+छ-ईय] १. सबसे अच्छा और ऊपर का। सर्वश्रेष्ठ। २. प्रधान। मुख्य। ३. सबसे ऊँचा। |
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उत्तमोत्तम :
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वि० [सं० उत्तम-उत्तम, पं० त०] १. सबसे अच्छा। सर्वोत्तम। २. एक से एक बढ़कर, सभी अच्छे। जैसे—अनेक उत्तमोत्तम पदार्थ वहाँ रखे थे। |
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वि० [सं० उत्तम-उत्तम, पं० त०] १. सबसे अच्छा। सर्वोत्तम। २. एक से एक बढ़कर, सभी अच्छे। जैसे—अनेक उत्तमोत्तम पदार्थ वहाँ रखे थे। |
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उत्तमोत्तमक :
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पुं० [सं० उत्तमोत्तम+कन्] लास्य नृत्य के दस प्रकारों में से एक। |
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पुं० [सं० उत्तमोत्तम+कन्] लास्य नृत्य के दस प्रकारों में से एक। |
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उत्तमौजा (जस्) :
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वि० [सं० उत्तम-ओजस्, ब० स०] जो तेज और बल के विचार से दूसरों से बढ़कर हो। पुं० १. मनु के एक पुत्र का नाम। २. एक राजा जिसने महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ दिया था। |
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उत्तमौजा (जस्) :
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वि० [सं० उत्तम-ओजस्, ब० स०] जो तेज और बल के विचार से दूसरों से बढ़कर हो। पुं० १. मनु के एक पुत्र का नाम। २. एक राजा जिसने महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ दिया था। |
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