शब्द का अर्थ
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इक्षु :
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पुं० [सं०√इष्(गति)+कुसु] [भाव०इक्षुता] १. ईख। गन्ना। २. कोकिला वृक्ष। ३. इच्छा। |
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समानार्थी शब्द-
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इक्षु-कांड :
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पुं० [ष० त०] १. गन्ने का डंठल। २. काँस। ३. मूँज। ४. राम शर। |
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इक्षु-दंड :
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पुं० [ष० त०] १. ईख का डंठल। २. ईख। ऊख। |
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इक्षु-पाक :
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पुं० [ष० त०] गुड़ जो ईख का रस पकाने से बनता है। |
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इक्षु-प्रमेह :
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पुं० [मध्य० स०] मधुमेह। (दे०)। |
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इक्षु-मेह :
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पुं० [मध्य० स०] मधु-मेह। (दे०)। |
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इक्षु-रस :
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पुं० [ष० त०] १. ईख या गन्ने का रस। २. काँस। |
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इक्षु-शर्करा :
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स्त्री० [मध्य० स०] ईख या गन्ने के रस से बनी हुई चीनी। (केन शूगर, सर्कोज)। |
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इक्षु-सार :
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पुं० [ष० त०] ईख के रस से तैयार की हुई कोई चीज। जैसे—गुड़, चीनी, मिसरी आदि। |
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इक्षुगंधा :
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स्त्री० [सं० इक्षुगंध+टाप्] १. गोखरू। २. तालमखाना। ३. काँस। ४. सफेद विदारी-कंद। ५. सफेद भूमि कुष्मांड। |
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इक्षुज :
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वि० [सं० इक्षु√जन् (प्रादुर्भाव)+ड] (पदार्थ) जो गन्ने के रस से बना हो। |
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इक्षुमती :
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स्त्री० [स० इक्षु+मतुप्-ङीष्] (फर्रुखाबाद के पास की) ईखन नदी का पुराना नाम। |
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इक्षुमालिनी :
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स्त्री० [सं० इक्षिमाला+इनि-ङीष्] इंद्र पर्वत से निकलने वाली एक नदी। (पुराण)। |
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इक्षुर :
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पुं० [सं० इक्षु√रा(देना)+क] १. गोखरू। २. तालमखाना। |
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इक्षुविदारी :
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स्त्री० [उपमि० स०] विदारीकंद। |
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