शब्द का अर्थ
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अर्थ-वाद :
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पुं० [ष० त०] १. न्याय में, तीन प्रकार के वाक्यों में से एक, जिसमें कोई काम करने का विधान किया जाता है या कुछ करने या कराने का उल्लेख होता है। इसके परकृति, पुराकल्प, निंदा और स्तुति ये चार भेद कहे गये है। २. नियमावली, विधान आदि के आरंभ की वे बातें जिनसे उस नियमावली या विधान का अर्थ (उद्देश्य या प्रयोजन) प्रकट तथा स्पष्ट होता है। (प्रिएम्बुल) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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