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अकस  : पुं० [सं० आकर्ष] १. किसी के प्रति मन में होनेवाला ऐसा दुर्भाव जो उसे अलग या दूर करने की प्रवृति उत्पन्न करता है। मन-मुटाव। २. वैर। शत्रुता। ३. ऐंठ। अकड़। पुं० [अ० अक्स, मि० सं० आकर्ष] १. छाया। परछाँही। २. प्रतिबिम्ब।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अकसना  : अ० [सं० आकर्ष, हि० अकस] १. मन में दुर्भाव, द्वेष या बैर रखना। २. अकड़ या ऐंठ दिखाना। ३. विरोध, वैर या शत्रुता करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अकसर  : वि० [हिं० अक=एक+सर (प्रत्यय)] जिसके साथ कोई न हो। अकेला। उदाहरण—कौन हेतु मन व्यग्र अति, अकसर आएतु नाथ—तुलसी। क्रि० वि० बिना किसी को अपने साथ लिए। अकेले। अव्य [अ०अक्सर] बीच-बीच में। अधिक अवसरों पर। प्रायः।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अकसीर  : स्त्री० [अ० अक्सीर] वह रस या भस्म जो किसी निम्न कोटि की धातु कोसोना या चाँदी के रूप में परिवर्तित कर दे। रसायन। वि० निश्चित रूप से अपना गुण, प्रभाव या फल दिखानेवाला। अचूक। अव्यर्थ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अकस्मात्  : क्रि० वि० [सं० न-कस्मात्, अलुक् स०] १. एकदम से। अचानक। सहसा। २. दैव योग से और अतर्कित रूप में।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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