शब्द का अर्थ
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वैवर्ण :
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पुं० [सं० विवर्ण+अञ्] १. विवर्ण होने की अवस्था या भाव। २. लावण्य या सौन्दर्य का अभाव। ३. मलिनता। ४. वैवर्ण्य (दे०)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
वैवर्णिक :
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पुं० [सं० विवर्ण+ठक्—इक] वह जो जाति-च्युत कर दिया गया या अपने वर्ण से निकाल दिया गया हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
वैवर्ण्य :
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पुं० [सं० विवर्ण+ष्यञ्] १. विवर्णता। २. साहित्य में एक सात्त्विक भाव जो उस समय माना जाता है जब क्रोध, भय, मोह, लज्जा, रोग, शीत या हर्ष के कारण किसी के मुँह का रंग उड़ने लगता है। ३. मलिनता। ४. जाति से च्युत होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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