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शब्द का अर्थ

त्रिश्  : वि० [सं० त्रिशत्+डट्] तीसवाँ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
त्रिश्रुतिमध्यम  : पुं० [सं०] एक प्रकार का विकृत, स्वर जो संदीपनी नाम की श्रुति से आरंभ होता है। (संगीत)।
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त्रिश्रृंग  : पुं० [सं० ब० स०] १. त्रिकूट पर्वत जिस पर लंका बंसी थी। २. त्रिकोण।
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त्रिश्रृंगी  : स्त्री० [सं० त्रिश्रृंग+ङीष्] एक तरह की मछली जिसके सिर पर तीन काँटे होते हैं। टेंगर।
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