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ज्यों  : अव्य० [सं० यः+इव] १. जिस तरह। जिस प्रकार। जैसे–उदाहरण–ज्यों मुखु मुकुर मुकुरू निज पानी।-तुलसी। पद–ज्यों का त्यों= (क) जैसा पहले हो, या हो रहा हो,वैसा ही या उसी रूप में। जैसे–वह ज्यों का त्यों नकल करके ले आया। (ख) जिसके पूर्व रूप के संबंध में कुछ भी काम न हुआ हो। जैसे–सारा ग्रंथ ज्यों का त्यों पड़ा है। (ग) जिसमें कुछ भी अन्तर, परिवर्तन या फेर-बदल न हो या न किया जाय। जैसे–वह समूचा पेड़ ज्यों का त्यों उखाड़ लाओ। ज्यों ज्यों=जिस क्रम से। जिस मात्रा या मान में। जितना। (वाक्य रचना में इसका नित्य संबंधी त्यों त्यों होता है) जैसे–ज्यों ज्यों वह सयाना होता गया त्यों त्यों वह स्वयं अपने सब काम करने और देखने लगा। उदाहरण–ज्यों ज्यों भीजे कामरी त्यों त्यों गरुई होय। ज्यों त्यों=(क) कठिनाइयों और झंझटों के रहते हुए भी किसी न किसी प्रकार। सहज में या अच्छी तरह नहीं। जैसे–ज्यों त्यों ब्याह के कामों से छुट्टी पाई। (ख) जी न चाहते हुए भी। अनिच्छा या अरुचिपूर्वक। जैसे–ज्यों त्यों उनसे भी मेल हो गया (ग) जिस प्रकार हो सके। जैसे–ज्यों त्यों सबको बुलवाओ। ज्यों ही=ठीक उसी क्षण या समय, जब कोई पहला काम पूरा हुआ हो। कोई काम होते ही ठीक उसी वक्त (इस अर्थ में त्यों ही इसका नित्य-संबंधी होता है) जैसे–ज्यों ही मैं घर से निकला, त्यों ही पानी बरसने लगा, (अथवा आपका सँदेसा मिला)। २. किसी के ढंग, प्रकार या रूप से। किसी के अनुकरण पर। उदाहरण–भीम तैरते समय मगर ज्यों डुबकी साधे आते।–मैथलीशरण ३. ठीक किसी दूसरे की तरह। किसी के तुल्य या समान। उदाहरण–प्रिय न था बिदुर ज्यों जिसे अनय।–मैथलीशरण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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