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घेरा  : पुं० [हिं० घेरना] १. किसी वस्तु, स्थान आदि को चारों ओर से घेरने की क्रिया या भाव। २. किसी वस्तु या वस्तुओं का वह मंडलाकार रूप या समूह जो किसी दूसरी वस्तु के चारों ओर से घेरे हुए हो। जैसे–दीवार या बाँसों का घेरा। ३. परिधि तथा परिधि का मान। जैसे–गोपियों के घेरे में कृष्ण का नाच। ४. दीवार, बाढ़ आदि से घिरा हुआ स्थान। अहाता। (एन्क्लोजर) ५. आरक्षी (पुलिस) सेना आदि के इस प्रकार किसी स्थान को घेरकर खड़े होने की स्थिति जिसमें उस स्थान के निवासी उस स्थान से बाहर न निकल सकें। जैसे–किले के चारों ओर मराठा सैनिकों का घेरा पड़ा था। ६. पहनने के कपड़ो़ में शरीर के चौड़ाई के बल का कुल विस्तार। जैसे–कमीज या कुरते का घेरा। ७. किसी घन पदार्थ की चौड़ाई और मोटाई का कुल विस्तार। जैसे–इस पेड़ का घेरा चार हाथ है।
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घेरा-बंदी  : स्त्री० [हिं० घेरा+फा० बंदी] १. किसी के चारों ओर घेरा डालने की क्रिया या भाव। २. आधुनिक राजनीति में, वह स्थिति जिसमें कुछ राज्य मिलकर किसी दूसरे देश अथवा राज्य के चारों ओर इस उद्देश्य से घेरा बनाते हैं कि वह देश उभरने न पावे अथवा अपना प्रभाव या शक्ति बढ़ा न सके। (एन्सर्किलमेंट)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
घेराई  : स्त्री०=घिराई।
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घेराव  : पुं०=घिराव।
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