शब्द का अर्थ
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कवा :
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अव्य० [हिं० कई+बार] कई बार। उदाहरण—कैवा आवत इहि गली, रहौं चलाइ चलै न।—बिहारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कवाट :
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पुं० [सं० क√वट् (आवरण)+अण्] १. दरवाजे का पल्ला। कपाट। किवाड़। २. दरवाजा। |
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कवाम :
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पुं० [अं० किवाम=मूल] १. पका कर गाढ़ा किया हुआ रस। अवलेह। २. चाशनी। शोरा। ३. खाने के तमाकू या सुरती का बनाया हुआ अवलेह। |
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कवायद :
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पुं० [अ० कायदः का बहु०] १. किसी काम या बात के कायदे या नियम। २. व्याकरण, जिसमें भाषा-रचना के नियम होते हैं। स्त्री० सिपाहियों, सैनिकों आदि का वह अभ्यास जो उन्हें व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ने, लड़ने-भिड़ने आदि के ढंग सिखाने के लिए कराया जाता है। |
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कवार :
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पुं० [सं० क√वृ (वरण करना)+अण्] १. कमल। २. एक प्रकार का जल-पक्षी। |
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कवारिय :
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पुं०=कबाड़ी। (फुटकर चीजों का दूकानदार)। उदा०—कवरत्त तत्त विहरति तुरत, जनुकि कवारिय पट्टुपट।—चन्दबरदाई। |
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कवाह :
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पुं० [सं० क√वह् (बहना)+णिच्+अण्] पानी बहने की बड़ी नाली। (चैनल)। |
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